Tuesday, October 20, 2015

ख्वाइशें

ख्वाइशें शायद हकीकत से ज्यादा ख़ूबसूरत होती है ख्वाइशें वह सफर है और हकीकत एक कयाम और हम तो बस एक मुसाफिर हैं चले जा रहे हैं , अपनी क्वहाइशों को लिए... तुम अक्सर पूछती हो मुझसे क्यों नहीं चले जाते वापिस अपने गांव क्या मज़ा है इस शहर की कशमश की ज़िन्दगी में क्या मज़ा है इस शोर में, इस गम में... मुझे...